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रक्षा बंधन

आज के शुभ अवसर पर मेरी एक स्वरचित रचना 

मनोहर छवि मेरे श्याम की, 
बस आस करुं मैं दर्शन की।
वो शुभ दिन कब आएगा?
कामना पूर्ण हो जब मेरे मन की।।

मोहक रूप तुम्हारा कान्हा जी,
बसा मेरे ह्रदय के कण-कण में। 
अब कोई और मूरत मुझे न भाए,
गुणगान करूँ मैं तुम्हारा मेरे कान्हा जी।।

सांवला सलोना रूप है तुम्हारा,
दर्शनों को सदा ही भक्तों को हर्षाए।
यशोदा नंदन की मुस्कान है ऐसी,
भक्तजनों को सदा हो भरमाए।।

तुम्हारे दर्शन को मन व्याकुल है,
जो इस लोक मुमकिन कहाँ है ।
मगर मन मेरा है ऐसा बावरा,
दर पर तुम्हारे जाने से रुकता कहाँ है।।

चाहे दिन रात ना पूजूँ,
करूँ ना मैं कोई आडम्बर।
सिर पर मेरे श्याम जी की छाया,
फिर मुझको किसकी परवाह।। 

भूल हुई हो अगर जीवन में,
क्षमा करना मुझे हे रघुनाथ।
विनती मेरी स्वीकार करोगे,
मुझको है बस इतनी आस।। 


भगतसिंह, 
द्वारका ,नई दिल्ली

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4 Comments

Miss Lipsa

01-Sep-2021 09:25 PM

Nice

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Niraj Pandey

31-Aug-2021 10:56 AM

वाह

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बहुत ही सुन्दर व शानदार रचना रची आपने 👌👌

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